Tuesday, June 13, 2023

बेसिक शिक्षा परिषद में पढ़ने वाले छात्रों की समस्याएं ।

 

बेसिक शिक्षा परिषद में पढ़ने वाले छात्रों की समस्याएं ।

Introduction: बेसिक शिक्षा परिषद में पढ़ने वाले कुछ बच्चों को छोड़ दिया जाय तो एक बड़ी संख्या पिछड़े और गरीब परिवार से है उनकी सबसे बड़ी समस्या गार्जियन का जागरूक न होना है । ऐसी अनेक समस्याएं है जो बच्चो को शिक्षा ग्रहण करने में बाधा उत्पन्न करती है । बच्चों को पढ़ाई में बाधा उत्पन्न करने वाली निम्न समस्याएं है ।

1.Lack of Interest: बच्चों में अशिक्षा का मुख्य कारण अभिभावक का जागरूक नही होना है।  बच्चे अति पिछड़े वर्ग से आते है जो अपनी जरूरत की बस्तुओं के लिए गांव के सम्पन्न स्वर्ण वर्ग पर निर्भर रहते है । इन पिछड़े परिवार के वर्गों के बच्चे अक्सर मजदूरी या खेलने में लगे रहते है । इनके बच्चे स्कूल जाने से ज्यादा महत्व मजदूरी करने को देते है । 

हमारे जानने वाले स्कूल में में कक्षा 4 का एक छात्र अरुण है । वो पिछले कई दिनों से पढ़ने नही आ रहा है । गांव के बच्चों से पता करने पर ज्ञात हुआ कि उसके पिता जी गांव में किसी का घर बनाने का काम कर रहे है । वह मजदूर की कमी है तो उसके पापा उसी को मजदूरी पर रख लिए है । इसके बदले में अरुण के पापा को प्रतिदिन 300 रुपये मजदूरी मिलती है। अब उसके पापा बच्चे को पढाने से ज्यादा उससे काम कराने में रुचि लेते है । 

ऐसी आने घटनाये है जो अरुण जैसे बच्चों को अच्छी शिक्षा देने से वंचित कर रही है ।

2.Highly Qualified Teacher:

बेसिक शिक्षा परिषद में नियुक्त शिक्षक बहुत ही ज्यादा उच्च शिक्षित है । बच्चों को आधारभूत शिक्षा देने में असमर्थ महसूस करते है । 

गरीब तबके के बच्चे बिना पेन कॉपी के ही पढ़ने आ जाते है उनको कैसे डील करना है ये उस दौर से गुजरे शिक्षक ही बता सकते है । 

उच्च शिक्षित शिक्षक छोटी छोटी तकनीक की समझ नही होती है । जिससे बच्चों को बेसिक ज्ञान करने में असमर्थ हो जाते है । ये शिक्षक बच्चों की मनोदशा को नही समझ पाते क्योकि वे इस परिस्थिति से कभी गुजरे नही होते है ।

3.lack of Educational background: 

परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों का बैकग्राउंड भी उन्हीं के जैसा पिछड़ा होता है । उनके परिवार या रिस्तेदार में दूर दूर तक कोई पढा लिखा नही होता है । उनके परिवेश में केवल मजदूर और अशिक्षित लोग ही रहते है । ऐसा कोई नही होता जिसको देखकर बच्चे मोटिवेट हो और मेहनत से पढ़े लिखे । बचपन से ही उन्हें केवल पैसे के बारे में बताया जाता है । जिससे बच्चे पढ़ाई से ज्यादा महत्व पैसा कमाने को देता है । बेसिक शिक्षा विभाग में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक 8000 से 12000 रुपये तक का महीने का वेतन पाते है उनके सामने परिवार चलाना भी मुश्किल हो जाता है । ऐसे गार्जियन अपने पाल्य को कॉपी पेन खरीदने में भी कठिनाई महसूस करता है ।

4. kachcha Makan:  

बेसिक शिक्षा विभाग में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चों के घर कच्चे होते है उनके घर पढ़ने के लिए उपयुक्त जगह नही होता है । उनके विजली की भी व्यवस्था ठीक नही होती है । बच्चे जमीन पर दिया जला के पढ़ते है सम्पन्न परिवारों के जैसे ये बच्चे उचित कमरे में उचित प्रकाश के सामने नही पढ़ पाते है । 

5.Conclusion:  इस प्रकार हम देख रहे है कि परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के सामने अनेक समस्याएं है । जिससे छात्र पढ़ने की इच्छा रखने के वावजूद भी पढ़ नही पाते है । ये बच्चे कम उम्र में ही मजदूरी करने को मजबूर हो जाते है । ऐसे ही इन बच्चों की पीढ़ी दर पीढ़ी अशिक्षा में डूब जाती है । सरकार की लाख योजनाएं आने के बाद भी ये बच्चे रोज स्कूल जाने से वंचित रह जाते है । इनके होम वर्क कभी पूरा नही होते । अक्सर टाइम से स्कूल नही जा पाते है। अभिभावक जागरुक नही होते जिससे ये बच्चों की समस्याओं को लेकर शिक्षको तक नही जा पाते ।